बात नवंबर 2007 की है। विधानसभा का चुनाव प्रचार अपने चरम पर था। NDTV, नरेंद्र मोदी को हराने के लिए कमर कस के मैदान में उतर चुका था। विनोद दुआ रिपोर्टिंग करने के नाम पर पूरे एक महीने तक गुजरात में रहे। रोज़ वह अपने कैमरामैन के साथ किसी नई जगह पहुँच जाते और लोगों से सवाल जवाब शुरू कर देते। उनके सवाल रेपेटिटिव होते थे और इनमें एक सवाल जो कॉमन होता था वह ये कि "क्या आप जानते हैं कि आप के मुख्यमंत्री के हाथ खून से सने हुए हैं?" एक महीने के धुआँधार चुनाव प्रचार के बाद विनोद दुआ दिल्ली वापस लौटे। मतगणना वाले दिन सुबह 8 बजे नया सूट पहन कर, तैयार हो कर, दुआ NDTV के स्टूडियो पहुंचे। उन्हें पूरा विश्वास था कि उनकी मेहनत रंग लाएगी और मोदी सत्ता से रुखसत होंगे। पर दुआ भूल गये कि मेहनत तो मोदी ने भी खूब की है। 10 बजते-बजते भाजपा की सत्ता में वापसी तय मानी जाने लगी। विनोद दुआ का मन पैनल डिसकशन में रत्ती भर भी नहीं लग रहा था। वह स्टूडियो छोड़ कर जो गये तो दोबारा NDTV के न्यूज़ रूम में वापस नहीं लौटे। कुछ महीनों बाद विनोद दुआ एक नया प्रोग्राम लेकर आये। उसका नाम था - "ज़ायका इंडिया का" 2014 में नरेंद्र मोदी अहमदाबाद से निकल कर पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली चले आये। इंडिया का जायका बदल चुका था।
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Wednesday, October 25, 2017
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