व्यक्तिगत रूप से मैं कर्णी सेना द्वारा फ़िल्म पद्मावती के उग्र विरोध के खिलाफ हूँ पर निम्न तथ्य निश्चित रूप से विचारणीय हैं 22 साल की उम्र में अनुराग कश्यप नें एक फिल्म बनायी थी black friday, बंबई बम धमाकों के असल किरदारों पर, बंबई बम धमाके ,जिनके किरदार दाऊद, याकूब और कंपनी थे। इसे ग्रांड ज्यूरी प्राईज दिया गया Indian film festival of los Angels द्वारा। कहते हैं कि हुसैन जैदी (जो कि खुद मुस्लिम हैं) ने तीन साल दिन रात एक कर के इस सारे प्रकरण पर रिसर्च करी थी। पर हाय, फिल्म पर बांबे हाईकोर्ट द्वारा 2004 में प्रतिबंध लगाया गया, कारण? एक समुदाय की भावनाओं को ठेस। आतंकवादीयो को आतंकवादी कहना भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, क्यों?? कारण एक ही है, कुछ लोग मानते थे उन्होंने सबाब का काम करा, खैर... टॉम हैंक्स के पूरे फिल्मी करियर में दो फिल्में सबसे यादगार हैं, उनके बेमिसाल अभिनय की प्रतिमा। सेविंग प्राइवेट रेयान और द विंची कोड. 2006 में आयी दूसरी फिल्म द विंची कोड पर भारत के चार राज्यों नागालैंड, पंजाब, तमिलनाडु और गोवा में बैंन लगा दिया गया। कारण यह पिक्चर ईसाई(कैथोलिक समाज) की भावनाओं को ठेस पंहुचाती है। ये तो आधिकारिक बैन था, सरकार ने पायरेटेड सीडी भी ब्लाक कर दी थी, मुझे याद है मैं तब फिल्म की एक पायरेटेड सीडी ढूंढने में पूरा साल लग गया था। एक फिल्म बनी थी 2005 में Sins, बैन कर दी गयी। कारण कहानी एक इसाई(Preast) पादरी द्वारा महिलाओं का शोषण दिखाया गया था। इस से भी भावनाओं को काफी ठेस पहुंची। आप कभी गूगल पर सर्च करना, best song of kishore kumar और हर एक juke box में एक गाना जरूर आपको मिलेगा,, "तेरे बिना जिंदगी से कोई, शिकवा, तो नंही" संजीव कुमार और किशोर दा के कैरियर की माईलस्टोन मूवी को कांग्रेस सरकार द्वारा बैन कर दिया था। ये गाना निर्धारित तिथि से 26 हफ्ते यानी 182 दिन बाद सुना लोगों ने,, पूरे 182 दिन बाद। कारण इस पिक्चर को कांग्रेस को ठेस देने वाला बताया गया था। याद है 2013 में आयी पिक्चर "विश्वरूपम" ये मामला थोडा सा अलग है, कोर्ट और सेंसर बोर्ड ने रिलीज की अनुमति दे दी थी। पर जयललिता सरकार ने इसे मुस्लिम विरोधी मानते हुए तमिलनाडु में बैन कर दिया था। कहानी का खैर भारत से कुछ लेना देना नहीं था, अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा पीडित लोगो की कहानी ने तमिलनाडु के लोगो को बहुत ठेस पंहुचायी। कहते हैं इस फिल्म को बनाने में मशहूर अभिनेता कमल हसन ने अपना घर तक गिरवी रखा था। मूल फिल्म चूंकि तमिल में थी, तो भावनाओं को दुखाने की महंगी कीमत चुकानी पड़ी। कमल हासन तो तब सार्वजनिक रुप से भारत छोडने तक की घोषणा कर चुके थे। तस्लीमा नसरीन पर आज भी बांग्लादेश में बैन है। कारण उन्होंने बांग्लादेश में मुसलमानों द्वारा हिंदुओं के शोषण होने पर एक किताब लिखी थी "लज्जा".. तस्लीमा नसरीन पर आज भी बंगाल में प्रवेश करने पर पाबंदी है The Stanic Verse (शैतानी आयतें),, भारतीय मूल के बिट्रिश लेखक सलमान रुश्दी की इस किताब ने दुनिया भर में हंगामा मचाया। इस किताब को इस्लाम बिरोधी मानते हुए तत्कालीन राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार ने इस किताब को सम्पूर्ण भारत में प्रतिबंधित कर दिया। यहां तक कि इस किताब का जापानी में अनुवाद करने वाले लेखक 'होतरसी ईरागसी' की हत्या कर दी गयी। इस किताब के ईतावली ट्रांसलेटर और नार्वे के प्रकाशक पर भी जानलेवा हमले हुए। तो अगर आपको पद्मावत पिक्चर बैन पर बुरा सा कुछ लग रहा है तो यकीन मानिए, बुरा तो आपको तब भी बहुत मानना चाहिए था, जब उपरोक्त घटनाएं हुईं थीं सिर्फ आज ही क्यों ? एक और बात! वर्षों से हिंदी फिल्मों में एक trend चल रहा है कि गाँव के पुजारी और बनिये को धूर्त और बदमाश दिखाना, और मौलवी एवं पादरी को सहृदय और अत्यंत दयावान ।ऐसा एक विशेष विचारधारा से प्रभावित लोंगों द्वारा किया जाता रहा और हम सभी हिन्दू अपने liberal attitude के कारण उसे नज़रंदाज़ करते रहे या कुछ हद तक enjoy भी करते रहे।हमारा यही attitude भंसाली,आमिर खान जैसे लोगों को सिर्फ हिन्दू धर्म की आस्था पर चोट करने को प्रेरित करता रहा।
from Dark Ritual http://ift.tt/2DskLgs
Tuesday, January 23, 2018
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment